आकाश ग्रंथालय का चमत्कार

 

बहुत समय पहले की बात है, एक विशाल पुस्तकालय था जो ज्ञान की देवी सरस्वती का मंदिर माना जाता था। इस पुस्तकालय का नाम था 'आकाश ग्रंथालय', और यहाँ सभी तरह के ज्ञान की पुस्तकें संग्रहीत थीं।

गाँव में एक युवक था, विवेक, जिसका सपना था कि वह ज्ञान की हर शाखा को छू ले। लेकिन विवेक गरीब था और उसके पास इतनी पुस्तकें खरीदने का साधन नहीं था। उसने 'आकाश ग्रंथालय' के बारे में सुना और वहाँ जाने का निश्चय किया।

जब वह ग्रंथालय पहुंचा, तो देखा कि वहाँ कोई भौतिक पुस्तकें नहीं थीं, सिर्फ एक विशाल स्क्रीन थी जिसपर अक्षर तैर रहे थे। वहाँ के रखवाले ने विवेक से कहा, "यह 'आकाश ग्रंथालय' विशेष है, यहाँ सभी पुस्तकें आकाशीय ऊर्जा में संग्रहीत हैं। तुम जो जानना चाहते हो, बस उसका नाम लो और वह ज्ञान तुम्हारे सामने होगा।"

विवेक ने जैसे ही किसी पुस्तक का नाम लिया, वह जानकारी स्क्रीन पर प्रकट हो गई। उसने देखा कि वह जितनी भी पुस्तकें पढ़ना चाहता था, वह सब उसके सामने थीं, बिना किसी भौतिक स्वरूप के।

यह देखकर विवेक को आश्चर्य हुआ और उसने रखवाले से पूछा, "यह जादू कैसे संभव है?"

रखवाले ने मुस्कुराकर उत्तर दिया, "यह 'क्लाउड कंप्यूटिंग' का चमत्कार है। हम ज्ञान को आकार

 रहित रूप में संग्रहित करते हैं, और जब चाहें, जहां चाहें, उसे प्राप्त कर सकते हैं।"

इस प्रकार, 'आकाश ग्रंथालय' ने विवेक को सिखाया कि किसी भी सीमा से परे, ज्ञान का संग्रहण और उपयोग कैसे किया जा सकता है, जो कि क्लाउड कंप्यूटिंग के सिद्धांतों पर आधारित है।

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